Blogspot - 100year.blogspot.com - वृद्धग्राम

Latest News:

............तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? 19 Jun 2010 | 12:37 am

मेरे दादा जी उस उम्र के दौर से गुजर रहे हैं जहां चीजें अक्सर छूटने लगती हैं। छोटी शुभी ने उनके हाथों को देखकर हैरत से कहा,‘इनके हाथों की नसें किस तरह चमक रही हैं।’ ऐसा उसने गंभीरता से कहा था। उस छोटी ...

क्रोध 17 Jun 2010 | 06:31 pm

मुझे गुस्सा आता है तो मैं उसे शांत करने की कोशिश करता हूं। बहुत सी चीजें आसान नहीं हो सकतीं और हम उनसे अछूते भी नहीं रह पाते। वे हमारे साथ जुड़कर चलती हैं। मैं अकेला नहीं हूं। क्रोध किसी को भी सुकून न...

कभी मोम पिघला था यहां 16 Jun 2010 | 08:50 pm

लौ जल रही हौले-हौले, बाती धधक रही हौले-हौले, पिघला मोम जैसे बहता पानी, दर्शा रहा एक लय, जम रहा इकट्ठा हो, जिंदगी की तरह, सुलगती बाती बची बाद में, ढह गयी वह भी मोम में, विलीन हुआ कुछ, अवशेष बाकी है...

कल्याणी-एक प्रेम कहानी 2 15 Jun 2010 | 08:57 pm

रात भर वह मेरी आंखों में भरी रही, एक ख्वाब की तरह। वह ख्वाब मुझे हकीकत लग रहा था। मुझे उस समय कई किस्म के अहसास हुए। उनमें मैंने खुद को उलझा पाया। भला एहसासों में भी कोई उलझता होगा, लेकिन मैं उनके तान...

बदल गया बहुत कुछ 14 Jun 2010 | 07:04 pm

जिस दिन न अधिक खुशी हो, न अधिक दुख वह मेरे लिए मिलाजुला है। वैसे आज कई मायने में मैं खुश था क्योंकि मुझे लगा कि सादाब की अम्मी और बहन उससे मिलने आयेंगे। वह लगभग पूरे दिन चुप बैठा रहा। उसकी आदत को देखक...

.............क्योंकि तुम खुश हो तो मैं खुश हूं 13 Jun 2010 | 04:52 pm

राम कल बहुत गुस्से में था। उसने अंजलि को पता नहीं क्या-क्या कह दिया। उसने कहा: "एक आखिरी कमेंट सुनती जाओ अपने फ़्रेंड्स के बारे में। रियलेटी यह है कि तुम्हारा कोई अच्छा दोस्त है ही नहीं। दरअसल तुम्हार...

एक उम्मीद के साथ जीता हूं मैं 12 Jun 2010 | 06:15 pm

ये उम्मीद जो है न, बहुत अजीब चीज है। इसने मुझे जीने का हौंसला दिया है। ......मैं थका था जरुर कभी, लेकिन उम्मीद लगाता हूं कि एक दिन सब अच्छा होगा और.........और आज तक उम्मीद ही तो लगाये हैं मेरे जैसे इं...

ऐसा क्या है जीवन में? 10 Jun 2010 | 01:00 am

मैं कभी-कभी हैरत में पड़ जाता हूं। ऐसा क्या है जीवन में जो उसे चलाता है? पता नहीं क्या है जिससे यह जीवन चलता है? .........पर हम खुश हैं कि जीवन चलता है। ‘‘कुछ कहते नहीं बन रहा ..........वो क्या चीज है...

फंदे में बंदर 9 Jun 2010 | 03:47 am

गांव के प्राइमरी स्कूल में एक मास्टर साहब छुटिट्यों में बच्चों को पढ़ाते थे। लोग उन्हें दलपत मास्टर के नाम से पुकारते थे। उनका स्वभाव दूसरे शिक्षकों की तरह बिल्कुल नहीं था। उन्होंने आजतक किसी बच्चे पर ...

इंसान और भगवान 8 Jun 2010 | 04:58 pm

इंसान झंझावातों से बचना चाहता है। पर वह ऐसा कर नहीं पाता क्योंकि वह इंसान है, भगवान नहीं। भगवान को हम पर दया नहीं आती या हमारा उसपर से भरोसा उठ गया है। खैर.......जो भी तो मैं उसे भूलना नहीं चाहता। मेर...

Recently parsed news:

Recent searches: