Blogspot - aprnatripathi.blogspot.com - palash "पलाश"

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एक बार ..............ONCE 18 Aug 2013 | 12:43 am

एक बार खतामैने भी की, दिल किसी सेलगाने की, एक बारगुनाह हुआ हमसे दिल किसीका चुराने का, एक बार तमन्नाकर बैठी, प्यार किसी कापाने की, एक बार हुआ जी मेरा इश्क की हद से गुजर जाने का एक बार दिखा है म...

मै कौन हूँ ???? 1 Apr 2013 | 09:28 pm

कभी अधूरी प्यास हूँ , कभी खामोश आवाज हूँ , कभी धूल मै राहों की , कभी  गीत का साज हूँ कभी किसी का राज हूँ , कभी किसी का नाज हूँ , कभी अनबुझ पहेली हूँ कभी तडपती बात हूँ कभी आइने सी साफ हूँ , कभी पाक...

पाकर तुमको लगा है ये................. 13 Feb 2013 | 11:58 pm

प्रियवर तुमसे मिली मै ऐसे जैसे सागर में मिलकर नदिया पाकर तुमको लगा है ऐसे जैसे मिल गयी है, सारी दुनिया..... ना थी मेरी कंचन काया ना हिरनी से थे नैना फिर भी तुमने हार के सब ढूँढे मुझमें अपने चैना ना द...

नारी मन 13 Jan 2013 | 02:29 am

वो ख्वाब किसी की आंखों का, वो शब्द किसी की बातों का, जीवन के हर क्षण में वो, वो आधार  सभी की सांसों का रूप बदल बदल वो आये, हर रूप में सबका साथ निभाये बिन उसके जीना असम्भव, पर सभी को ये समझ ना आये ...

अनुतरित क्यों 26 Dec 2012 | 11:48 pm

जून की भीषण गर्मी अब व्याकुल करने लगी है , शिशिर ने निश्चय किया कि आज वो पक्का ही कुछ दिन के लिये आफिस में छुट्टियों की अर्जी दे देगा, और फिर काफी समय से निशान्त से मिला भी तो नही, कितनी ही बार तो वह ...

बेबस दिल्ली 20 Dec 2012 | 10:45 pm

दिल्ली - जिसे कभी दिल वालों की नगरी कहा जाता था, कब और कैसे इस शहर में बेदिल लोग आ कर रहने लगे और इस दिल्ली के दिल को इस कदर कुचल दिया कि आज दिल्ली का दिल सिसक रहा है और बेबसी से वक्त की ओर देख रहा है...

अरुणिमा भाग -२ 10 Dec 2012 | 10:05 pm

आजआपको अपने जीवनके उस मोडपर ले चलतीहूँ , जहाँ पहलीबार उससे मिलीथी । बातकरीब १८- २०साल पहले कीहै । पिताजी हर सालगर्मी की छुट्टियोंमें हमे कहीना कही जरूरघुमाते थे ।और इस बार तो मै ८वीं में फस्ट आयी थी ,...

अरुणिमा 7 Dec 2012 | 01:03 am

अरुणिमा , मेरी कहानी की मुख्य पात्र। मेरे जीवन का केन्द्र बिन्दु। जीवन के हर उतार चढाव की साथी। बहुत समय से सोच रही थी कि अपने और उसके जीवन को कागज के पन्नों पर अंकित करूं, मगर हमेशा डरती थी कि कही ऐ...

उधार की जिन्दगी... A Borrowd Life 4 Oct 2012 | 10:03 pm

रेल की पटरी पर ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार से दौड रही थी, और घोष उस पटरी पर अपनी जिन्दगी की रफ्तार को खत्म करने के लिये उस पर अपनी पूरी रफ्तार से दौड रहा था, कि विघुत गति से एक हाथ अचानक आया और वो पटरी से ...

संगम किनारे जन्मी एक प्रेम कथा........... 29 Sep 2012 | 10:57 pm

अब मुझे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था, आखिर मैने क्या सोच कर उससे मिलने के लिये हाँ कर दी थी, पाँच साल बाद अचानक उसका फोन आया था, और उसकी एक काल पर मैं मिलने को तैयार हो गयी थी, कहाँ गया था मेरा वो मान, क...

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सच्चे मित्र, राजपुष्प ब्रह्मकमल, राज्यपुष्प ब्रह्मकमल

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