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Latest News:

उर की प्रसन्नता 21 Jul 2013 | 09:41 am

दोनों हाथों की शोभा है दान करने से अरु, मन की शोभा बड़ों का मान करने से है। दोनों भुजाओं की शोभा वीरता दिखाने अरु, मुख की शोभा तो प्यारे सच बोलने से है। कान की शोभा है मीठी वाणी सुनने से अरु, आंख की श...

बिना बोले 23 Jun 2013 | 03:03 pm

विपत बनाती मनुज को, दुर्बल न बलवान, वह तो केवल यह कहे, क्या है तू, ये जान। कौन, कहां मैं, किसलिए, खुद से पूछें आप, सहज विवेकी बन रहें, कम होगा संताप। मूर्खों के सम्मुख स्वयं, जो बनते विद्वान, विद्वा...

संत बाबा किनाराम 31 May 2013 | 12:58 pm

                                   बनारस  जिले की चंदौली तहसील के रामगढ़ गांव में अकबर सिंह और मनसा देवी के घर जिस बालक ने जन्म लिया वही प्रसिद्ध संत बाबा किनाराम हुए। 12 वर्ष की अवस्था में इन्होंने ग...

वर्तमान की डोर 27 Apr 2013 | 07:28 pm

ज्ञान और ईमान अब, हुए महत्ताहीन, छल-प्रपंच करके सभी, धन के हुए अधीन। बिना परिश्रम ही किए, यदि धन होता प्राप्त, वैचारिक उद्भ्रांत से, मन हो जाता व्याप्त। जैसे-जैसे लाभ हो , वैसे बढ़ता लोभ, जब अतिशय ह...

छत्तीसगढ़ी हाना 21 Mar 2013 | 12:14 pm

                             वाचिक परम्पराएं सभी संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग होती हैं। लिखित भाषा का प्रयोग न करने वाले लोक समुदाय में संस्कृति का ढांचा अधिकतर मौखिक परम्परा पर आधारित होता है। कथ...

राजरानी देवी 27 Feb 2013 | 08:36 pm

                      सन् 1905 में एक माँ ने जिस बालक को जन्म दिया, वह हिंदी साहित्याकाश में नक्षत्र बन कर चमका। उस बालक को हिंदी और हिंदी साहित्य का ककहरा उसकी माँ ने ही सिखाया। माँ स्वयं एक भावप्रवण...

मृत्यु के निकट 30 Jan 2013 | 03:11 pm

आत्म प्रशंसा त्याज्य है, पर निंदा भी व्यर्थ, दोनों मरण समान हैं, समझें इसका अर्थ। एक-एक क्षण आयु का, सौ-सौ रत्न समान, जो खोते हैं व्यर्थ ही, वह मनुष्य नादान। इच्छा अजर अनंत है, अभिलाषा अति दुष्ट, ...

नए वर्ष से अनुनय 31 Dec 2012 | 07:20 pm

ढूँढो कोई कहाँ पर रहती मानवता, मानव से भयभीत सहमती मानवता। रहते हैं इस बस्ती में पाषाण हृदय, इसीलिए आहत सी लगती मानवता। मानव ने मानव का लहू पिया देखो, दूर खड़ी स्तब्ध लरजती मानवता। है कोई इस जग में ...

सफेद बादलों की लकीर 11 Dec 2012 | 09:39 pm

1. कितनी धुँधली-सी हो गई हैं छवियाँ या आँखों में भर आया है कुछ शायद अतीत की नदी में गोता लगा रही हैं आँखें ! 2. विवेक ने कहा- हाँ, यही उचित है ! ........ अंतर्मन का प्रकाश कभी काला नहीं होता ! 3....

सुख-दुख से परे 22 Nov 2012 | 08:41 pm

एकमात्र सत्य हो तुम ही तुम्हारे अतिरिक्त नहीं है अस्तित्व किसी और का सृजन और संहार तुम्ही से है फिर भी कोई जानना नहीं चाहता तुम्हारे बारे में ! कोई तुम्हें याद नहीं करता आराधना नहीं करता कोई भी तुम...

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संत पीपा

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