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हिंद स्‍वराज्‍य-4 22 May 2013 | 05:22 pm

गांधी और गांधीवाद-149 संदर्भ और पुराने पोस्टों के लिंक यहां पर 1909 हिंद स्‍वराज्‍य-4 स्वदेशी और ग्राम समाज ‘हिंद स्वराज’ एक ऐसे समाज की बात करता है जो पिरामिड नहीं है। यह ऊंचाई के साथ चौड़ाई में...

22 मार्च - विश्‍व जल दिवस के अवसर पर 22 Mar 2013 | 06:35 am

22 मार्च - विश्‍व जल दिवस के अवसर पर जान लें सूखती जा रही है धरा की कुक्षि दिन ब दिन गिर रहा है स्तर जल का करें कल्पना उस पल का आने वाले भयानक कल का! जब समस्या होगी विकट पृथ्वि पर होगा जल का सं...

क़ादिरिया परम्परा 21 Mar 2013 | 10:22 am

कुबराविया परम्परा हज़रत  नज़्मुद्दीन कुबरा (1146-1212 ई.) इस परम्परा के संस्थापक थे। उन्होंने अपने जन्म-स्थान ख़्वारज़म में अपनी ख़ानक़ाह स्थापित की। 1212 ई. में मंगोलों के आक्रमण के कारण उनके शिष्य ...

हिंद स्‍वराज्‍य-3 17 Mar 2013 | 07:59 am

गांधी और गांधीवाद-148 संदर्भ और पुराने पोस्टों के लिंक यहां पर 1909 हिंद स्‍वराज्‍य-3 उत्तर आधुनिक युग में पुस्तक का महत्व ‘हिंद स्वराज’ मूलतः सभ्यता का विमर्श है। दरअसल यह पाश्चात्य आधुनिक सभ्यत...

गीली मिट्टी पर पैरों के निशान!! 14 Mar 2013 | 05:57 pm

गीली   मिट्टी   पर   पैरों   के निशान!! काश! मेरी ख़ामोशी का गीत सुन लेतीं एक बार ... ... शब्‍द बनकर नज़्म बहे यह ज़रूरी तो नहीं ! मुहब्‍बत का पैगाम लिए कोई आया क्या? … पेड़ो की सरसराहट तेरे आने का ...

कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि पर - साहसी और निर्भिक महिला 22 Feb 2013 | 05:30 am

कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि पर साहसी और निर्भिक महिला भारत की आज़ादी की लड़ाई में बापू का कदम-कदम पर साथ देने वाली कस्तूरबा गांधी का 22 फरवरी 1944 को निधन आगा ख़ां महल जेल में हुआ। वहीं उनका अंतिम संस्...

प्रेम-प्रदर्शन 14 Feb 2013 | 05:10 pm

प्रेम-प्रदर्शन मनोज कुमार एक वो ज़माना था जब वसंत केआगमन पर कवि कहते थे, अपनेहि पेम तरुअर बाढ़ल कारण किछु नहि भेला । साखा पल्लव कुसुमे बेआपल सौरभ दह दिस गेला ॥ (विद्यापति) आज तो नजाने कौन-कौन-स...

प्रेम-प्रदर्शन 14 Feb 2013 | 05:10 pm

प्रेम-प्रदर्शन मनोज कुमार एक वो ज़माना था जब वसंत केआगमन पर कवि कहते थे, अपनेहि पेम तरुअर बाढ़ल कारण किछु नहि भेला । साखा पल्लव कुसुमे बेआपल सौरभ दह दिस गेला ॥ (विद्यापति) आज तो नजाने कौन-कौन-स...

प्रेम-प्रदर्शन 14 Feb 2013 | 05:09 pm

प्रेम-प्रदर्शन मनोज कुमार एक वो ज़माना था जब वसंत केआगमन पर कवि कहते थे, अपनेहि पेम तरुअर बाढ़ल कारण किछु नहि भेला । साखा पल्लव कुसुमे बेआपल सौरभ दह दिस गेला ॥ (विद्यापति) आज तो नजाने कौन-कौन-स...

कुल्हड़ की चाय! 10 Feb 2013 | 08:13 am

कुल्हड़ की चाय! मेहरबान! क़दरदान!! कोलकाता ! जहां .. बारीश की नम फुहार .. पूरबइया,पछुआ बयार .. पसीनों से सराबोर तन ... परोपकार से भरा मन .. लोकल की भीड़-भाड़ .. ट्रामों की सुस्त रफ्तार .. घर लौ...

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पक्षी, गांधी जी, ठ, poshak gandi, राजकोट, मजदूर दिवस, प्रवासी

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