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Untitled 27 Aug 2013 | 06:30 am

Filed under: Pictures

ऊँट और आलोचक 21 Jul 2013 | 07:30 am

एक प्रशासक, एक कवि, एक चित्रकार, और एक आलोचक – ये चारों एक ऊँट के साथ रेगिस्तान से गुज़र रहे थे. एक रात यूंही वक़्त बिताने के लिए उन्होंने सोचा कि वे यात्रा के साथी अपने ऊँट का वर्णन करें. प्रशासक ....

ज़िंदगी को कीजिए ‘रीसेट’ – Press the Reset Button On Your Life 3 Apr 2013 | 08:24 am

ज़िंदगी हमें हर समय किसी-न-किसी मोड़ पर उलझाती रहती है. हम अपने तयशुदा रास्ते से भटक जाते हैं और मंजिल आँखों से ओझल हो जाती है. ऐसे में मैं हमेशा से यही ख्वाहिश करता आया हूँ कि काश मेरे पास … Continue...

आख़री सफ़र 12 Mar 2013 | 05:30 am

(अमरीकन लेखक केंट नेर्बर्न ने आध्यात्मिक विषयों और नेटिव अमरीकन थीम पर कई पुस्तकें लिखीं हैं. नीचे दिया गया प्रसंग उनकी एक पुस्तक से लिया गया है) बीस साल पहले मैं आजीविका के लिए टैक्सी चलाने का काम कर...

Liebman’s List – लीबमैन की लिस्ट 2 Mar 2013 | 06:30 am

अमेरिकन रब्बाई और अनेक प्रेरक पुस्तकों के लेखक जोशुआ लोथ लीबमैन (1907-1948) ने अपने संस्मरणों में लिखा है: – “मैं जब युवा था तब जीवन में मुझे क्या पाना है उसके सपने मैं देखता रहता था. एक दिन मैंने उन ...

फादर कोल्बे 27 Feb 2013 | 06:30 am

संत मैक्सिमिलियन कोल्बे (1894-1941) पोलैंड के फ्रांसिस्कन मत के पादरी थे. नाजी हुकूमत के दौरान उन्हें जर्मनी की खुफिया पुलिस ‘गेस्टापो’ ने बंदी बना लिया. उन्हें पोलैंड के औश्वित्ज़ के यातना शिविर में ...

पागलपन 30 Dec 2012 | 06:30 am

एक ताकतवर जादूगर ने किसी शहर को तबाह कर देने की नीयत से वहां के कुँए में कोई जादुई रसायन डाल दिया. जिसने भी उस कुँए का पानी पिया वह पागल हो गया. सारा शहर उसी कुँए से पानी लेता … Continue reading →

धार्मिकता – भेद से अभेद में छलांग 15 Dec 2012 | 06:30 am

मैं ईश्वर भीरु नहीं हूँ. भय ईश्वर तक नहीं ले जाता है. उसे पाने की भूमिका अभय है. मैं किसी अर्थ में श्रद्धालु भी नहीं हूँ. श्रद्धा मात्र अंधी होती है. और अंधापन परम सत्य तक कैसे ले जा सकता … Continue r...

मोती 3 Dec 2012 | 06:30 am

एक रात हीरे-जवाहरात के दो सौदागर किसी दूरदराज़ रेगिस्तान की सराय पर लगभग एक ही वक़्त पर पहुंचे. उन दोनों को एक-दूसरे की मौजूदगी का अहसास था. जब वे अपने ऊंटों से माल-असबाब उतार रहे थे तब उनमें से एक सौ...

सहनशीलता 29 Nov 2012 | 07:18 pm

सहनशीलता जिसमें नहीं है, वह शीघ्र टूट जाता है. और, जिसने सहनशीलता के कवच को ओढ़ लिया है, जीवन में प्रतिक्षण पड़ती चोटें उसे और मजबूत कर जाती हैं. मैंने सुना है, एक व्यक्ति किसी लुहार के द्वार से गुजरत...

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