Jakhira - jakhira.com - जखीरा, उर्दू शायरी संग्रह

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गाली सी चुभती है औकात की बात 2 Mar 2013 | 04:37 pm

दिल दिमाग सब बाद की बात चलो करते है पेट और खुराक की बात मेरा ऊंचाइयो से मतलब था तुम करने लगे जिराफ की बात कोई रहनुमा कोई फरिश्ता कोई खुदा ये तो अपने-अपने नकाब की बात मुल्क में अमन था, चैन था, मोहब्बत ...

बीते हुए लम्हात 27 Feb 2013 | 10:01 am

बीते हुए लम्हात का मंज़र नहीं मिलता / जिस घर की तमन्ना थी वही घर नहीं मिलता - Vilas Pandit Musafir बीते हुए लम्हात is a post from: जखीरा, उर्दू शायरी संग्रह

आधुनिक शायरी में जनजीवन 21 Feb 2013 | 11:21 am

स्वर्गीय नूर साहब का यह मज़मून उनके प्रिय शिष्य डा. कृष्ण कुमार ‘नाज़’ ने हमें उपलब्ध कराया, जो उर्दू में नूर साहब की हस्तलिपि में था। नूर साहब ने ज़िंदगी-भर शायरी की और मुशायरे पढ़े, नस्र (गद्य) में बाक़ा...

वामिक जौनपुरी- परिचय 18 Feb 2013 | 08:02 pm

सैय्यद अहमद मुज्तबा “वामिक जौनपुरी” 23 अक्टूबर 1909 को एतिहासिक शहर जौनपुर से लगभग आठ किमी दूर कजगांव में स्थित लाल कोठी में एक बड़े जमीदार घराने में एक आला अफसर के बेटे के रूप में पैदा हुए| माँ का नाम...

वामिक जौनपुरी पर पोस्ट 13 Feb 2013 | 08:27 pm

हम ब्लॉग पर अगली पोस्ट वामिक जौनपुरी पर लिखने जा रहे है आशा है आपको पसंद आएगी | अगर आप किसी शायर पर कोई जानकारी विशेष सामग्री चाहते है तो हमें सूचित करे या अपने पास कि जानकारी हमारे साथ साझा करे| वामि...

आए है इस गली में तो पत्थर ही ले चले 17 Aug 2012 | 08:30 pm

कुछ यादगारे-शहरे-सितमगर ही ले चले आए है इस गली में तो पत्थर ही ले चले - नासिर काजमी

श्याम ! मै तौरी गैया चराऊ 10 Aug 2012 | 06:54 pm

आँख जब आईने से हटाई श्याम सुन्दर से राधा मिल आई आये सपनो में गोकुल के राजा देने सखियों को आयी बधाई प्रेम-जल खूब गागर में भर लू आज बादल ने माया लुटाई किसको पनघट पे जाने की जिद थी किससे गागर ने विनती कर...

लम्हों का खज़ाना 2 Aug 2012 | 03:06 pm

मीना कुमारी का कल यानी एक अगस्त को जन्मदिवस था और आज रक्षाबंधन का त्यौहार है आप सभी को रक्षाबंधन की शुभकामनाए और मीना कुमारी की यह आज़ाद नज़्म पेश है - कितनी लालची हूँ मै कितने ढेर सरे लम्हे जमा कर रखे ...

दुख का अहसास न मारा जाये 1 Aug 2012 | 08:23 pm

दुख का अहसास न मारा जाये आज जी खोल के हारा जाये - मुहम्मद अलवी

चाँद सितारों से क्या पुछूँ कब दिन मेरे फिरते हैं 26 Jul 2012 | 05:53 pm

चाँद सितारों से क्या पुछूँ कब दिन मेरे फिरते हैं वो तो बेचारे ख़ुद हैं भिखारी डेरे डेरे फिरते हैं जिन गलियों में हम ने सुख की सेज पे रातें काटी थीं उन गलियों में व्याकुल होकर साँझ सवेरे फिरते हैं रूप-स...

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