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Untitled 10 Oct 2012 | 04:13 pm

कत्ते सोहाओन राति छै आयल, सुख , सपना सब संगे लायल .... कोना ने कियो मस्त भ’ झहरत, नैन आहाँके अछि कजरायल,... नैन करय नेह केर सिंचन, ठोरक भाफ में सब उस्नायल,.... आगुक रूप के कोना हम बाजू, बस पर्व...

गजल 27 Sep 2012 | 10:59 pm

अपन छाहरिक डरसँ सदिखन पडाईत रहलौं पता नै किया खूब हम छटपटाईत रहलौं कियो नै सुनै गप करेजक हमर आब एतय करेजक कहै लेल गप हडबडाईत रहलौं अपस्याँत छी जे चिन्हा जाइ नै भीडमे हम मनुक्खक डरे दोगमे हम नुकाईत र...

हम एगो गाछ छी 15 Sep 2012 | 01:14 pm

हम एगो गाछ छी अपन वंशक एकमात्र गाछ एहि नम्हर परतीमे धीपैत ठूंठ पेड़ इतिहासक पन्नामे डूबल पल-पल जीबाक लेल तरसैत दर्दक सागरमे ठाढ़ हम एगो गाछ छी कहियो साँझ-भोर हमर ठाढ़िपर नवाह जकाँ होइ छल अनघोल शीतल छा...

गुंजन श्री 14 Sep 2012 | 10:26 am

मैथिलि कविता- किछु दिन भेल, दिल्ली स’ पटना लौटैत रही, मोनहीं मोन एकटा बात सोचैत रही, ताबेत एकता अर्धनग्न बच्चा सोझा में आयल, आ कोरा में अपनों सौ छोट के लेने, चट्ट द’ सोझा में औंघरायल, हम सोचिते...

गजल 13 Sep 2012 | 12:08 am

भीख नै हमरा अपन अधिकार चाही हमर कर्मसँ जे बनै उपहार चाही कान खोलिकऽ राखने रहऽ पडत हरदम सुनि सकै जे सभक से सरकार चाही प्रेम टा छै सभक औषध एहिठाँ यौ दुखक मारल मोनकेँ उपचार चाही सभ सिहन्ता एखनो पूरल क...

मातृभाषा मैथिलि पाक्षिक ई-पत्रिका 10 Sep 2012 | 09:43 am

मातृभाषा मैथिलि पाक्षिक ई-पत्रिका जे की दरभंगास प्रकाशित पहिल ई-पत्रिका अछि . एकर पहिल अंक छपी चुकल अछि . जेना की सर्वविदित अछि जे अहि स पहिने विदेह ई-पत्रिका सेहो निकली रहल अछि . विदेह साहित्य लेल क...

Untitled 29 Aug 2012 | 11:07 am

सिह्कैत हवा पर सिसकैत अछि मोन, हम छी पाथर,आ ओ पाथर,से भेल सोन,... कनैत रही छी असगर एकात बैसल, हँसब से ऐहन बाते अछि बचल कोन,..... चली गेल ओ संग ल' मुइर-सुईद सब, देलहुं हम जकरा अपन स्नेहक लोन,........

मिथिला राज्य के धरना में जुटल मैथिल समुदाय , 23 Aug 2012 | 06:46 pm

मिथिला राज्य  के  धरना में  जुटल  मैथिल  समुदाय , मिथिला राज्य  के  धरना में  जुटल  मैथिल  समुदाय , चल -चित्र  में  सेहो  देखू -

गजल 18 Aug 2012 | 02:32 am

रमजान आ ईदक शुभ अवसर पर प्रस्तुत कऽ रहल छी एकटा गजल। ऐ गजलक प्रेरणा हम एकटा प्रसिद्ध कव्वाली सँ लेने छी। मदीनाक मालिक अहाँ ई करा दिअ करेजा हमर बस मदीना बना दिअ हमर मोन निश्छल भऽ गमकै धरा पर कृपा एतब...

बाल गजल 30 Jul 2012 | 01:48 am

प्रस्तुत कऽ रहल छी हम अपन पहिल बाल गजल। ई गजल एकटा बाल मजदूरक पीडा पर आधारित अछि। अहाँ सभक प्रतिक्रियाक आकांक्षी छी। बाल गजल करबा नै मजूरी माँ पढबै हमहूँ नै रहबै कतौ पाछू बढबै हमहूँ हम छी छोट सपना पै...

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