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Latest News:

उत्थान 14 Aug 2013 | 03:05 pm

उत्थान (भारत के स्वाधीनता दिवस के 66वीं वर्षगाँठ पर बच्चों के प्रति) बच्चों यह जो आज तिरंगा लहराता यह अम्बर जो आज खुशी के गाता गीत, पूछो इनसे कितने बलिदानों की गाथा हैं इनमें किनके आँसू, अरमा...

झगड़ा है बेकार | 10 Aug 2013 | 05:31 pm

काम क्रोध मद लोभ पर , जब ना लगे लगाम | बिना विचारे जो करे , क्षण में बिगड़े काम | रघुवन में वट वृक्ष विशाला | ताहि समीप बहे लघु नाला | नाले पर ना कोई पुलिया |  खम्भा पर जा बिगड़े हुलिया | चारपाया कभ...

अच्छे बच्चे 9 Aug 2013 | 09:28 pm

चिंटू ,मिंटू गुडिया,हुआ सवेरा , प्रकाश से डर कर भागा अँधेरा . एक सूरज से ही तो आता प्रकाश, और नीला हो जाता पूरा आकाश . चंद्रमा और अनगिनत तारे नजर नहीं आते , वो अपनेअपने काम पर कहीं और चले ज...

बूझो तो जाने (कविता ) 7 Aug 2013 | 10:11 pm

 बूझो तो जाने .... टिक- टिक ,टिक- टिक करती चलते चलते कभी न थकती दिन भर करती काम लेती न एक दाम बूझो तो कौन ......... ? एक बार लगाओ अगर बार बार पाओ मगर जीवन भर देते रहते कभी देते घनेरी...

"हुआ सवेरा जागो मुन्ने" 6 Aug 2013 | 07:47 pm

बाल कविता हुआ सवेरा जागो मुन्ने ! सरपट सरपट भागो मुन्ने ! देखो सूरज चाचा आ पधारे, कैसी भोर सुनहरी ला पधारे। खिल उठीं नन्ही नन्ही कलियाँ, आ बैठी सुंदर प्यारी तितलियाँ । पेड़ों पर च...

छम छम करती बरखा आये 28 Jul 2013 | 04:37 pm

छम छम छम छम बरखा बरसे, टर्र टर्र मेंडक बोले मोर नाचते हर्षे पशु पक्षियों में खुशिया छा जाए मीठी मीठी कोयल भी बतलाये । कल कल करती नदिया बहती बागो में हरियाली छा जाती । छम छम करती बरखा ...

सुन री तितली - कविता 27 Jul 2013 | 04:31 pm

सुन री तितली नीले पीले हरे जामनी और सुनहरे पंखो वाली तितली उड़ती उड़ती जा बैठी आँगन के खिले गुलाबों पर कभी चम्पा कभी चमेली पर इधर फुदकती उधर फुदकती मटक कर उड़ जाती फुर्र मुन्ना बोला सुन री तित...

बाल ग़ज़ल 10 Jul 2013 | 09:58 am

अरे बच्चों चलो देखें, नया सर्कस जो आया है। तमाशों का पिटारा इक वो अपने संग लाया है। लिये ढोलक चले ठुम-ठुम बँदरिया झूमती-गाती, चलाता साइकिल भालू सभी के मन को भाया है। सलामी दे रहा हाथी, तो तोता दागता...

शिक्षा 29 Jun 2013 | 03:19 pm

कहो आज मैं तुम्हे सुना दूं सच्ची-सच्ची बात बता दूं प्रश्नों का जो ढ़ेर लगा है उन प्रश्नों को मैं सुलझा दूं समझ सको तो समझ के समझो ना समझो तो मर्जी तुम्हारी सुनना हो तो सुन लो प्यारे बात काम की...

मीठा सपना 19 Jun 2013 | 11:27 pm

मैं बर्फी की सड़क पर दौड़ रही थी रास्ते में मुझे फ्रूटी की नदी मिली जिसमे चॅाकलेट की किश्तियाँ तैर रही थीं मैंने उस पर चढ़कर नदी पार की मैं एक मिश्री महल के सामने पहुँच गई जहाँ पर लडडू राम पहरा द...

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