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वह चीनी भाई : महादेवी वर्मा 7 Apr 2012 | 12:38 am

मुझे चीनियों में पहचान कर स्मरणरखने योग्य विभिन्नता कम मिलती है। कुछ समतल मुख एक ही साँचे में ढले से जान पडते हैं और उनकी एकरसता दूर करने वाली, वा पर पडी हुई सिकुडन जैसी नाक की गठन में भी विशेष अंतर द...

नामालूम सी एक खता : आचार्य चतुरसेन शास्त्री 7 Apr 2012 | 12:32 am

गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फागुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के झंझटों से दूर रहकर नई दुल्हन के साथ प्रेम और आनंद की कलोल करने वे सलीमा को लेकर कश्मीर के दौलतखाने में चले आए थे। रात दूध मे...

स्मृति के गलियारों से : हीरालाल वत्स्यायन अज्ञेय 7 Apr 2012 | 12:24 am

पुच्छल तारे के साथ-साथ बचपन कितनी तरह की काल-गणना में बीतता है, मेरा भी बीता, यह आज किसी को समझना तो कठिन हो ही गया है, कभी-कभी लगता है कि स्वयं अपने को समझना भी दिन-ब-दिन कठिनतर हो जायेगा। आज तो एक ...

काबुलीवाला : रवीन्द्रनाथ ठाकुर 7 Apr 2012 | 12:18 am

मेरी पाँच बरस की लड़की मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता। एक दिन वह सवेरे-सवेरे ही बोली, “बाबूजी, रामदयाल दरबान है न, वह ‘काक’ को ‘कौआ’ कहता है। वह कुछ जानता नहीं न, बाबूजी।” मेरे कुछ कहने से ...

जन्मांतर कथा 28 Mar 2012 | 04:43 pm

एक कहिल नामक कबाड़ी था, जो काठ की कावड़ कंधे पर लिए-लिए फिरता था। उसकी सिंहला नामक स्त्री थी। उसने पति से कहा कि देवाधिदेव-युगादिदेव की पूजा करो, जिनसे जन्मांतर में दारिद्रय-दुख न पावें। पति ने कहा– त...

पाठशाला 28 Mar 2012 | 04:32 pm

पाठशाला का वार्षिकोत्सव था। मैं भी वहाँ बुलाया गया था। वहाँ के प्रधान अध्यापक का एकमात्र पुत्र, जिसकी अवस्था आठ वर्ष की थी, बड़े लाड़ से नुमाइश में मिस्टर हादी के कोल्हू की तरह दिखाया जा रहा था। उसका ...

चाणक्य नीति – ५० 27 Mar 2012 | 11:13 pm

५०. दुष्ट व्यक्ति की और सर्प की समानता की जाए तो इन दोनों में सर्प श्रेष्ट है क्यूंकि सर्प तो समय आने पर ही काटता है किन्तु दुष्ट व्यक्ति तो पग-पग पर काटता है, हानि पहुंचाता है, बुराई करता है|

चाणक्य नीति – ४९ 27 Mar 2012 | 11:13 pm

४९. कन्या(पुत्री) को उत्तम कुल में देना चाहिए तथा पुत्र को विद्या में लगाना चाहिए| शत्रु को बुरी आदतों में फ़साना चाहिए और मित्र को धर्म में नियुक्त करना चाहिए |

चाणक्य नीति ४८ 27 Mar 2012 | 11:11 pm

४८. मनुष्य का आचार उसके कुल-शील को प्रदर्शित करता है, बोल चाल आदि व्यक्ति के देश अथवा प्रान्त को बतलाती है, मन के भाव प्रेम को प्रकट करते है और शरीर का गठन उसके द्वारा सेवन किये जाने वाले अन्न का परिच...

चाणक्य नीति – ४७ 27 Mar 2012 | 11:11 pm

४७. किसके कुल में दोष नहीं है ? रोग के द्वारा कौन पीड़ित नहीं हुआ ? कष्ट किसको नहीं मिला ? सदैव सुखी कौन रहता है ?

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