Wordpress - rachanabajaj.wordpress.com - मुझे भी कुछ कहना है.....

Latest News:

हे ईश्वर! 9 Aug 2013 | 09:43 pm

प्रार्थना … हे ईश्वर! बस इतना कर दो, जीवन मे कुछ अवसर भर दो! सुख-सुविधा और धन-दौलत, इन सबकी मुझको चाह नही, कांटों की राह पर चलता हूं, पर मुंह से निकली आह नही! मुश्किल से कब डरता हूं मै, पर उनको थोड़ा...

किसे पता है………. 3 Jul 2013 | 09:06 am

आज, अभी ये पल है अपना, क्या होगा कल किसे पता है.. कर्म करें, ये धर्म है अपना, क्या होगा फल किसे पता है.. जीवन है तो सुख -दुख होंगे, कितने, कब -कब, किसे पता है.. जीवित हैं तो मृत्यु होगी, किस पल होग...

ज़िन्दगी…… 17 Feb 2013 | 09:39 am

ज़िन्दगी कहते हैं जिसको, सांस का इक सिलसिला हैलगती हमको खूब प्यारी, पर गज़ब की ये बला है!सूर्य का है साथ थोड़ा, सांझ को हर दिन ढ़ला है,साथ निश्चित है उसी का, घर मे जो दीपक जला है!बढ़ रहा वो पांव आगे, जो कि...

परिवर्तन ( कहानी) 5 Dec 2012 | 08:02 am

अनुपमा करीब ५ साल बाद अमेरिका से भारत आई थी…. महानगर मे अपने भाई के घर रहते हुए एक दिन उसने बातों बातों मे अपने भाई से उस पुराने गांव जाने की इच्छा जाहिर की, जहां उसके बचपन के कुछ वर्ष बीते थे और उसके...

सुनिये एक कहानी.. :) 4 Jul 2012 | 08:42 pm

आप यहां -  मेरे मन की , मेरी कहानी अपनापन  अर्चना चावजी की आवाज़ मे सुन सकते हैं…

अपनापन .. ( कहानी ) 3 Jun 2012 | 09:19 pm

** जीवन मे कई रिश्ते बनते- बिगडते, उलझते सुलझते रहते हैं. पारिवारिक, कार्यक्षेत्र के, दोस्ती के, और मानवीय संवेदनाओं के. भारतीय समाज मे हर तरह के रिश्ते का अपना एक विशेष महत्व है. अब धीरे-धीरे सब कुछ ...

अपनापन .. ( कहानी ) 3 Jun 2012 | 09:19 pm

** जीवन मे कई रिश्ते बनते- बिगडते, उलझते सुलझते रहते हैं. पारिवारिक, कार्यक्षेत्र के, दोस्ती के, और मानवीय संवेदनाओं के. भारतीय समाज मे हर तरह के रिश्ते का अपना एक विशेष महत्व है. अब धीरे-धीरे सब कुछ ...

न जाने कितने हैं… 31 Mar 2012 | 02:11 pm

इस दुनिया मे इन्सानों के रंग न जाने कितने हैं, उनके जीवन , व्यवहारों के ढ़ंग न जाने कितने हैं. अपनी अपनी मन्जिल सबकी, अपनी अपनी सबकी राहें, गिनती को तो है लोग बहुत, पर संग न जाने कितने हैं. कुछ के सपने...

न जाने कितने हैं… 31 Mar 2012 | 10:11 am

इस दुनिया मे इन्सानों के रंग न जाने कितने हैं,उनके जीवन , व्यवहारों के ढ़ंग न जाने कितने हैं.अपनी अपनी मन्जिल सबकी, अपनी अपनी सबकी राहें,गिनती को तो है लोग बहुत, पर संग न जाने कितने हैं.कुछ के सपने सच ...

छोटी सी बात … 29 Mar 2012 | 10:15 pm

किसी की बात समझ न सके, तो हम ज्यादा न बौखलाएं, बेहतर है कि हम अपनी समझ को समझाएं ! चुप रहना भी कोइ बुरी बात नही , कुछ भी कहकर बात का मज़ाक न बनाएं ! किसी का दुख बांट कर कम न कर सकें, न सही, कम से ...

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