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कबीर के श्लोक - १२१ 20 Dec 2012 | 05:22 am

ढूंढ्त डोलहि अंध गति , अरु चीनत नाही संत॥ कहि नामा किऊ पाईऐ , खिनु भगतहु भगवंतु॥२४१॥ कबीर जी कहते हैं कि नामदेव जी कहते हैं -जीव खोज खोज कर परेशान हो जाता है,लेकिन संत पुरुष पहचान में नही आता।भगवान ...

कबीर के श्लोक - १२१ 20 Dec 2012 | 05:22 am

ढूंढ्त डोलहि अंध गति , अरु चीनत नाही संत॥ कहि नामा किऊ पाईऐ , खिनु भगतहु भगवंतु॥२४१॥ कबीर जी कहते हैं कि नामदेव जी कहते हैं -जीव खोज खोज कर परेशान हो जाता है,लेकिन संत पुरुष पहचान में नही आता।भगवान ...

कबीर के श्लोक - १२० 10 Dec 2012 | 05:20 am

कबीर जऊ तुहि साध पिरंम की , सीसु काटि करि गोइ॥ खेलत खेलत हाल करि, जोकिछु होइ त होइ॥२३९॥ कबीर जी कहते हैं कि यदि तुझे परमात्मा पाने की अभिलाषा है तो अपना सिर काट कर गेंद बना ले और खेलता खेलता इतना मस...

कबीर के श्लोक - १२० 10 Dec 2012 | 05:20 am

कबीर जऊ तुहि साध पिरंम की , सीसु काटि करि गोइ॥ खेलत खेलत हाल करि, जोकिछु होइ त होइ॥२३९॥ कबीर जी कहते हैं कि यदि तुझे परमात्मा पाने की अभिलाषा है तो अपना सिर काट कर गेंद बना ले और खेलता खेलता इतना मस...

कबीर के श्लोक - ११९ 30 Nov 2012 | 05:12 am

कबीर बामनु गुरु है भगत का,भगतन का गुरु नाहि॥ अरझि उरझि कै पचि मूआ, चारऊ बेदहु माहि॥२३७॥ कबीर जी कहते हैं कि ब्राह्मण उन लोगो का गुरू है जो उसके कहे अनुसार कर्म-कांडों को करने में लगे रहते हैं अर्थात...

कबीर के श्लोक - ११९ 30 Nov 2012 | 05:12 am

कबीर बामनु गुरु है भगत का,भगतन का गुरु नाहि॥ अरझि उरझि कै पचि मूआ, चारऊ बेदहु माहि॥२३७॥ कबीर जी कहते हैं कि ब्राह्मण उन लोगो का गुरू है जो उसके कहे अनुसार कर्म-कांडों को करने में लगे रहते हैं अर्थात...

कबीर के श्लोक - ११८ 20 Nov 2012 | 05:16 am

आठ जाम चऊसठि घरी,तुअ निरखत रहै जीउ॥ नीचे लोइन किउ करऊ,सभ घट देखऊ पीउ॥२३५॥ कबीर जी कहते हैं कि जो जीव आठ पहर चौंसठ घड़ी सिर्फ तुझे ही देखते रहते हैं,उनकी नजरे नीची हो जाती हैं अर्थात उनमे नम्रता आ जाती...

कबीर के श्लोक - ११८ 20 Nov 2012 | 05:16 am

आठ जाम चऊसठि घरी,तुअ निरखत रहै जीउ॥ नीचे लोइन किउ करऊ,सभ घट देखऊ पीउ॥२३५॥ कबीर जी कहते हैं कि जो जीव आठ पहर चौंसठ घड़ी सिर्फ तुझे ही देखते रहते हैं,उनकी नजरे नीची हो जाती हैं अर्थात उनमे नम्रता आ जाती...

कबीर के श्लोक - ११७ 10 Nov 2012 | 05:09 am

आठ जाम चऊसठि घरी,तुअ निरखत रहै जीउ॥ नीचे लोइन किउ करऊ,सभ घट देखऊ पीउ॥२३५॥ कबीर जी कहते हैं कि जो जीव आठ पहर चौंसठ घड़ी सिर्फ तुझे ही देखते रहते हैं,उनकी नजरे नीची हो जाती हैं अर्थात उनमे नम्रता आ जाती...

कबीर के श्लोक - ११७ 10 Nov 2012 | 05:09 am

आठ जाम चऊसठि घरी,तुअ निरखत रहै जीउ॥ नीचे लोइन किउ करऊ,सभ घट देखऊ पीउ॥२३५॥ कबीर जी कहते हैं कि जो जीव आठ पहर चौंसठ घड़ी सिर्फ तुझे ही देखते रहते हैं,उनकी नजरे नीची हो जाती हैं अर्थात उनमे नम्रता आ जाती...

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कबीर के दोहे, ओम, ‘साधू और शैतान’, "साधू और शैतान", साधना

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