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Latest News:

कार्टून कुछ बोलता है- देख तेरे संसार की हालत.........!! 21 Aug 2013 | 09:28 am

एक सूचना इस दूकान के पाठकों (यदि कोई है ?) के लिए : फिलहाल  ब्लॉग्गिंग में मजा नहीं आ रहा,(यहाँ भी मंदी और गिरावट:) :) ) इसलिए कुछ समय के लिए दूकान बंद कर रहा हूँ ! व्यवधान के लिए खेद है ! मिलते हैं ब...

विश्व मच्छर दिवस ! (पुन: प्रकाशित )! 20 Aug 2013 | 03:40 pm

आज और कल(आज दोपहर बाद से कल दोपहर तक ) भाई-बहन के अटूट प्रेम और पवित्र बंधन का त्यौहार रक्षा बंधन है, अत: आप सभी मित्रों को सर्व-प्रथम इस पावन पर्व की मंगलमय कामनाऐ! शायद आप लोग भी जानते होंगे कि आज ...

हो गए हैं हम क्यों खुदगर्ज इतने ! 19 Aug 2013 | 03:55 pm

Former editor, millionaire, found living on Mumbai street पैदा हुए हैं कहाँ से, ये मर्ज इतने, हो गए हैं हम क्यों,खुदगर्ज इतने। गुज़रगाह बन गए हैं, सेज-श्रद्धेय, अगम्य हो गए जबसे,फर्ज इतने। ...

स्वर्ग कामना एवं तीन लोकों की अवधारणा ! 18 Aug 2013 | 12:43 pm

सामने जो सत्य है उसको नजरअंदाज कर,  सोच को किसी असंभव, अनदेखे और अनजाने से ब्रह्माण्ड मे ले जाकर खुद के और दुनियां के अन्य प्राणियों के आस-पास एक विचित्र  मायावी जाल बुनना इंसान की पुरानी फितरत है। कि...

आज यह पोस्ट अपने देश की युवा-शक्ति को समर्पित है ! 17 Aug 2013 | 03:17 pm

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि किसी भी देश की वास्तविक शक्ति उस देश का युवा-वर्ग होता है। और इसकी एक हल्की सी झलक इस देश ने गत वर्ष १६ दिसंबर को घटित एक शर्मनाक घटना के विरोध स्वरुप दिल्ली और देश के अन्य ...

ये कहाँ आ गए हम…. ! 15 Aug 2013 | 10:26 pm

आज जो कुछ इस देश मे हो रहा है, उसे देखकर अवश्य यह आत्मा भी बहुत अधिक व्यथित होगी ! स्वतंत्रता दिवस पर  झंडारोहण ! सर्वप्रथम सभी देशवासियों कों ६७वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ! एक ...

अब तू ही बता……। 9 Aug 2013 | 10:14 am

तू ही बता के हमको जहन में उतारा क्यों था, दिल शीशे का था तो पत्थर पे मारा क्यों था? दोष भी तेरा और चित भी तेरी,पट भी तेरी, कसूर गर ये हमारा था, तो नकारा क्यों था? तोड़कर बिखेरनी ही थी, तमन्नायें इस ...

नया दौर ! 8 Aug 2013 | 10:04 am

बड़े-बड़ों के हौंसले, सियासत की चौखट पर डिग जाते है, खुदा मेहरबां हो तो सर पे गधों के भी ताज टिक जाते है। वो दुप्पट्टे, वो चुनर, गँवा लेती हैं जिनको लुटी अस्मतें, जनपथ की फुटपाथ-हाट पे अकसर, वो...

वू दिन भी क्य दिन छा गाफिल ! 8 Aug 2013 | 08:21 am

ऊं दिनु की गाफ़िल, बिजां औंदी याद, जब मेरा पोस्ट-ग्रेजुएट होण का बाद, बीस-बाइस सालौ, ज्वान गबरु होन्दु छौं, माँ की वीं बात परैं, बुकरा-बुकरी रोंदु छौं कि कख रैन्दि जाँणू तू रोज तन झुम्दी, ततुरु दिन .....

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