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अरमाँ 6 Mar 2013 | 12:39 pm

खुश हुआ है बहुत अंतर्मन पर कहीं गहरे अंतस में तीव्र उदासी भी है नाच उठा है तन बदन पर कही ख्वाबों की गली में अखंड ठेहराव भी है आशाओं से भर गया है मन पर कहीं किसी धमनी में अजीब सा खालीपन भी है भानू की र...

अनुभूति 3 Oct 2010 | 02:04 am

आज अचानक कहीं गहरे अंतस में उसी मंदिर  कि घंटियाँ फिर से बजने लगी हैं और आरती सुनाई देने लगी है जब मैं और मेरी सहेलियाँ छुट्टी वाले दिन बड़े ही चाव से बन-ठन के मंदिर जाया करती थी हर शाम घंटी बजने का....

ग़ज़ल 31 Aug 2010 | 02:00 am

तेरे हुस्न के तसव्वुर से रोशने-हयात हो गई तेरी बख्शीश हुई, तो ये कायनात बहशत हो गई (तसव्वुर - ध्यान, हयात - ज़िन्दगी, बख्शीश - रहमत, कायनात - सृष्टि, बहशत - स्वर्ग ) चिरागे-ज़ीस्त को  तूने दिया है इक....

दिले-बयाँ 27 Jul 2010 | 09:00 pm

नैन चक्षुओं को खुलना सिखा मौला, ज़र्रे-ज़र्रे में तेरे अक्स को देखना सिखा मौला कर्णों से सुनना सिखा मौला, कौने -कौने में तेरे नाम कि अपार चर्चा सुनना सिखा मौला नथनों से सूंघना सिखा मौला, सृष्टि क...

ग़ज़ल 27 Jun 2010 | 12:58 am

चले आए हैं तेरे दर पे कि आज जाने कि जल्दी नहीं किसी कि नजरों का इंतज़ार बनें कि आज हमारे घर कोई नहीं हैं भटक राहों में दर बदर रहें कि आज मयखाने में प्यास बुझती नहीं हो गया है याराना अन्धकार से कि आ...

क्या कहूँ 25 May 2010 | 02:12 am

तुम्हें किस नाम से पुकारूं तुम्हारी किस किस अदा का क्या क्या नाम रखूँ तुम्हें खुशनुमा हवा का केवल एक झोंका कहूँ या अन्दर तक झंझोड़ देने वाली तीव्र आंधी... तुम्हें मेरी आत्मा को "तृप्त" करने वाला शीतल...

तब्बसुम-ऐ-यार 5 Mar 2010 | 10:51 pm

यादों कि डालियों पे ख़्वाबों ने जज्बादों के धरौंदों पर अनगिनत लम्हों का सुंदर आशिआना बना रखा है दिल के आँगन में अरमानो के मनमोहक खिलखिलाते फूलों से सजी हसरतों कि डोली में बैठी उम्मीदों कि नई  नवेली दुल...

सोहना सजन 2 Jan 2010 | 09:54 pm

सर्दियों की मखमली धूप से भी ज्यादा कोमल है तेरी यादों का स्पर्श तेरे साथ बीता मेरा हर पल, मादक है कहतें है मदहोशी की बातें ज़हन में नहीं रहतीं मगर तेरे साथ का ये कैसा नशा है कि इक इक पल याद बन कर दौड़ ...

प्रशन चिन्ह? 28 Dec 2009 | 11:54 pm

क्या कारण है की आजादी के बासठ सालों के बाद आज भी भारत वर्ष की गिनती उन्नत देशो में न हों कर उन्नतिशील देशो में की जाती है? क्यों आज भी एक आम आदमी को उसके अधिकारों से जानभूझ कर वंचित रखा जाता है? क्यों...

Dreams 2 Dec 2009 | 06:54 pm

When the whole world sleeps, At the midnight air whispers in my ear. A beautiful ball of white light in the sky, Throws its charming rays into my eyes. I usually try to see a glimpse of yours, Into th...

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