Blogspot - manojiofs.blogspot.com - मनोज

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बच्चों की शिक्षा और हरिलाल गांधी 30 Jul 2013 | 12:11 pm

गांधी और गांधीवाद-152 1909 बच्चों की शिक्षा और हरिलाल गांधी जब गांधी जी 1897 में दक्षिण अफ़्रीका आए थे, तो उनके साथ 9 साल के हरिलाल और 5 साल के मणिलाल थे। उन्हें कहां पढ़ाना है, उनके सामने यह एक व...

जोहांसबर्ग में टॉल्सटाय फार्म की स्थापना 16 Jul 2013 | 08:47 am

गांधी और गांधीवाद-151 1909 जोहांसबर्ग में टॉल्सटाय फार्म की स्थापना लंदन से गंधी जी 1909 के अंत तक वापस आ गए। वहां का उनका राजनीतिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ था। ब्रिटिश सरकार ने दक्षिण अफ़्रीका उपनिव...

“लुटेरा” - अच्छी और अलग फ़िल्म 10 Jul 2013 | 10:35 am

“लुटेरा” - अच्छी और अलग फ़िल्म शोभा कपूर और एकता कपूर द्वारा बालाजी मोशन पिक्चर्स बैनर तले निर्मित ‘उड़ान’ फेम निर्देशक विक्रमादित्य मोटवाणे द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘लुटेरा’ का हर फ्रेम एक पेंटिंग की...

टॉल्सटॉय और गांधी 5 Jul 2013 | 09:09 pm

गांधी और गांधीवाद-150 1909 टॉल्सटॉय और गांधी गांधी जी के जीवनीकार लुई फ़िशर लिखते हैं, “मध्य रूस में एक स्लाव रईस उन्हीं आध्यात्मिक समस्याओं से जूझ रहा था, जिस पर दक्षिण अफ़्रीका में इस हिंदू वकील ...

श्रमकर पत्थर की शय्या पर 1 May 2013 | 08:01 am

श्रमकर पत्थर की शय्या पर आज एक मई है। यानी कि मजदूर दिवस! इन श्रमकरों के श्रम के बिना हम जीवन में कुछ नहीं हासिल कर सकते। उनका श्रम वंदनीय है। मुम्बई में श्रमिकों की सभा को संबोधित करते हुए 15 दिसम्ब...

प्रलय के काले मेघ उठे 22 Apr 2013 | 08:30 am

प्रलय  के काले मेघ उठे श्यामनारायण मिश्र फूस  नहीं  चढ़  पाया नंगी मिट्टी की दीवारें लगता  रूठा  देव  प्रलय  के काले मेघ उठे। एक खेत था  बाक़ी वह भी पिछले साल बिका कौड़ी-कौड़ी  वैद  खा  गये  बेटा...

खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू 28 Jan 2013 | 10:12 am

खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू श्यामनारायण मिश्र कोई दिन हो गया कलेऊ कोई दिन ब्यालू बूढ़ी चाची कहती बेटे सबके राम दयालू सोच-सोचकर हुआ अजीरन मन है खट्टा-खट्टा अभी रसोई में बाक़ी है चूल्हा और सिलबट्टा क...

किस्मत टूटी नाव चढ़ी है 21 Jan 2013 | 05:30 am

किस्मत  टूटी नाव चढ़ी है श्यामनारायण मिश्र मन में चलती बुन उधेड़ है रामरती  का पति अधेड़ है घर में दो दो समवयस्क हैं कहने को बेटे मर्द सुनाता दिले शेर के किस्से लेटे लेटे ठिठुरा कुल परिवार पड़ा ...

कस्तूरी मृग पर है दृष्टि भयानक बाघ की 14 Jan 2013 | 05:30 am

कस्तूरी मृग पर है दृष्टि भयानक बाघ की श्यामनारायण मिश्र फागुन उनके नाम लिखे हैं अपने हिस्से में हैं रातें माघ की उमर पराई हुई बंजरों से लड़ते-लड़ते उनके खेत मेड़ तक जिनके पांव नहीं पड़ते झुठलाने ...

Untitled 31 Dec 2012 | 11:30 pm

नया जब  साल आया है… -- करण समस्तीपुरी जश्न हो, खूब मस्ती हो। हर महंगी चीज सस्ती हो। ये भ्रष्टाचार मिट जाए । भले सरकार मिट जाए। नया जब  साल आया है। तो दिन खुशहाल आ जाए। न हो टू जी, सी डब्ल्यू ज...

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ग्रह गोद, jiska kam usi ko saaje, गरम ननद भौजी, बीभत्स रस कवित्त, हास्य रस कवित्त, रौद्र कवित्त, बूरे बूरे हम, nilofar ansh katha, माई री palash sen, हाथ कंगन को आरसी क्या?

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