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Untitled 27 Jan 2013 | 10:56 pm

फ़िक्र में रोज़ी की जब है मारा मारा आदमी आदमी को हो भी तो कैसे गवारा आदमी जिसने बोला, आदमी का है गुजारा आदमी आदमी ने उसके मुंह पर दे के मारा आदमी फितरतन कोई किसी का भी नहीं, पर सब कहें ये हमारा आदम...

अनन्या ... अंतिम भाग 2 Nov 2012 | 06:43 am

उस मनुष्य ने स्वप्न में भी ऐसे मंच की कल्पना नही के थी जिस पर वह इस समय था ! सबसे ऊपर तो राजसिंहासन ही था, उस से ठीक नीचे वाला आसन  इस अभागे मनुष्य का था ! उससे नीचे वाले स्थान पर सदा की भांति राज पा...

अनन्या भाग 3 15 Oct 2012 | 11:01 pm

उस मनुष्य ने स्वप्न में भी ऐसे मंच की कल्पना नही के थी जिस पर वह इस समय था ! सबसे ऊपर तो राजसिंहासन ही था, उस से ठीक नीचे वाला आसन  इस अभागे मनुष्य का था ! उससे नीचे वाले स्थान पर सदा की भांति राज पा...

Untitled 21 Aug 2012 | 12:19 am

                            अब से १३-१४  वर्ष पूर्व वह १३-१४ वर्ष का ही था ! तब खट्टी इमली का एक पौधा गुरुकुल के सामने फैली व्यर्थ सी भूमि पर उसे उगता हुआ मिला था ! उस भूमि के विषय में उसके पिता ने उस...

Untitled 9 Jul 2012 | 04:29 pm

                                           महा यक्षिणी अनन्या ने गर्व से भरे हुए अपने मुख को तनिक और तानते हुए उस मनुष्य की ओर प्रेम भरी दृष्टि डाली और अपनी बायीं भुजा उठाते हुए एक दिशा में संकेत किया...

Untitled 16 Jun 2012 | 02:07 am

तुम्हें भूलने की बड़ी बीमारी है यार....जब कोई कहता है तो सोचता हूँ कि क्या भूलना भी कोई बीमारी होती है ..भूलना तो महज एक आदत होती है..वो भी बड़ी मासूम सी आदत ..किसी को कोई ज़्यादा परेशान ना करने वाली....

Untitled 19 Nov 2011 | 06:36 am

हक-परस्ती ज़ीस्त का उनवां हुई किस दौर में भाई-बंदी फितरते-इन्सां हुई किस दौर में आसमां छूने लगीं हैं मुर्दा-तन की कीमतें ये मेरी जिंदादिली अर्जां हुई किस दौर में कितनी वजहें पूछती हैं मुझसे जीने की ...

Untitled 5 Aug 2011 | 05:38 am

बल्कि तस्वीर हव्वा की बनाने बैठा था.. दुनिया की पहली औरत हव्वा.. पहली औरत जो... खुदा का शौक थी, शैतां का प्यादा अजल से खेल बस, औरत की जां थी.. दुनिया.. जो मेरे लिए शायद एक बार फिर से पहली थी..सु...

काकटेल का कोलाज़ .. 27 Jul 2011 | 01:59 pm

एक वक़्त में एक ही काम किया करो...ऐसा लगता है..जैसे दिल कह रहा हो.. दिल.... जिसकी भी सीमाएं होती हैं शायद...जिस्म की तरह ही... फिर कहीं से ये आवाज़ क्यूं आती है...अब तो माँ भी है...और रोज़ी/रोजी भी....

manu said... Comment deleted This post has been removed by the author. 14 July 2011 5:37 PM 17 Jul 2011 | 06:15 am

वो वाली रात कैनवास पर बड़ी अजीब सी बीती....चंद साल पहले वाले नब्बे-पिचानवे रुपये वाले कैनवस (same size ke) भी ऐसे हालातों से रूबरू नहीं होते थे ..जिनसे ये महंगे वाला कैनवस हुआ...शायद इस से पहले वाले क...

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